अच्छे दिनों का अंत: Short Story in Hindi With Moral
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अच्छे दिनों का अंत: शॉर्ट स्टोरी
एक छोटे से गांव में एक गरीब परिवार रहता था। परिवार में पिता, माता, और उनके दो बच्चे थे। परिवार का एकमात्र साधन था उनकी खेती, जिसमें वे मेंहनत करके फसल उगाया करते थे। उनका जीवन खुशियों से भरा हुआ था। परंतु एक दिन आसमान में अचानक बादल आए और बारिश शुरू हो गई। बारिश के कारण खेत की फसल पूरी तरह से खराब हो गई।
परिवार के सदस्य बहुत दुखी हो गए। उन्हें अपने अच्छे दिनों की यादें आ रही थी और अब पूरा परिवार इस समस्या बाहर निकलें, के बारे में सोचने लगा।
दिन बितते गए और बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी। खेतों में बढ़ते पानी की वजह से उनके परिवार को और भी कठिनाइयां झेलनी पड़ी रही थी।
एक दिन, पिता ने अपने दो बच्चों को बुलाया और कहा, "हमारे पास और कोई रास्ता नहीं है। हमें किसी तरीके से अपने खेत को फिर से संवारना होगा। लेकिन मैं बूढ़ा हो गया हूँ और अब मेरे पास इतनी शक्ति नहीं है कि मैं खेत में काम कर सकूँ।"
बड़े भाई ने कहा, "परंतु पिताजी, हम कुछ नहीं करते तो और कैसे चलेगा? हम आपकी मदद करेंगे।"
छोटे भाई ने भी अपनी सहमति दिखाते हुए अपने बड़े भाई के साथ मिलकर खेत में मैंहनत करने लगे। उन्होंने बहुत मेहनत करी और धैर्य से खेत को पुराने रूप में लाने के लिए बहुत प्रयास किये।
धीरे-धीरे बारिश रुकनी शुरू हो गई और धरती ने फिर से उनके फसलों के लिए उसे प्रसन्न कर दिया। खेत फिर से हरा-भरा हो गया और उन्हें फिर से खुशियों से भरा हुआ जीवन मिल गया।
मोरल:
यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। जब हम संघर्ष करते हैं और दृढ़ संकल्प से मेंहनत करते हैं, तो अंत में सफलता जरूर मिलती है। बुरे दिनों के बाद अच्छे दिन भी आते हैं, लेकिन हमें हार नहीं माननी चाहिए। अच्छे और बुरे दिन एक साथ चलते रहते हैं, और हमें इन सभी परिस्थितियों का सामना करना सीखना चाहिए।